उस दिन
झूले से उतरते समय
मेरी स्कर्ट
झूले की करी में फंस कर
अच्छी-खासी फट चुकी थी!
ठीक उसी वक्त
तुम दौड़ कर बरामदे में टंगी
अपनी बहन(मेरी सहेली) की
जींस ले आए थे
और फिर
जब मैं उसे लौटाने
तुम्हारे पास आई तो
तुमने कहा
कपड़े ऐसे पहनने चाहिए
जो उलझे नहीं
फंसे नहीं।
आज भी
दुपट्टे को संभालते समय
साड़ी की आँचल ठीक करते समय
तुम अनायास ही याद आ जाते हो
बस ग्यारह की ही तो थी मैं
उस समय
और तुम तेरह के!
कुछ बातें
दिल के करीब रहती हैं
कुछ नसीहतें
हमेशा याद रहती हैं!
- सीmaa
मार्मिक रचना👌👌
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