एक दिन जब मैं
बहुत उदास थी
सूखी पडी धरती पर
कुछ आँसू की बूँदें टपक पडी थी...
वहीं पर एक बीज दबा पड़ा था ..
नमी पाकर बीज ने अंगड़ाई ली।
वहफूट पडा।
वह रोज अपना रुप बदलता रहा
उसने पौधे की शक्ल ले ली।
एक दिन उस पौधे में
कुछ फूल निकल आए।
पौधा सज गया।
धरती निखर गई।
अब एक साथ सब मुस्कुरा रहे हैं...
.... धरती, पौधा, फूल
और फूलों को देखकर मैं।
आँसू भी व्यर्थ नहीं जाते
कभी-कभी।
- सीmaa
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