Monday, March 27, 2017

एक दिन

एक दिन जब मैं
बहुत उदास थी
सूखी पडी धरती पर
कुछ आँसू की बूँदें टपक पडी थी...
वहीं पर एक बीज दबा पड़ा था ..
नमी पाकर बीज ने अंगड़ाई ली।
वहफूट पडा।
वह रोज अपना रुप बदलता रहा
उसने पौधे की शक्ल ले ली।
  एक दिन उस पौधे में
कुछ फूल निकल आए।
पौधा सज गया।
धरती निखर गई।
अब एक साथ सब मुस्कुरा रहे हैं...
.... धरती, पौधा, फूल
और फूलों को देखकर मैं।
आँसू भी व्यर्थ नहीं जाते
कभी-कभी।
- सीmaa

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