Sunday, February 26, 2017

मुट्ठी भर प्रेम

मौन था तेरा प्रेम
कि उलझनें बहुत थी तेरी राहों में और
कांधे जिम्मेदारियों से भारी थे
अपने सपनों को कच्चा - पक्का पका कर
तुम कभी सुस्त, कभी तेज
चले जा रहे थे और
मुट्ठी भर मेरा प्रेम भी रख लिए थे
अपने साथ!
मैं भी बस इसी बात से खुश हूँ कि
तुम्हारे पास ही हूँ मैं!
- सीmaa

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