अपनी परछाईयों से भागते हुए किसी से टकरा जाते हम एक दिन और फिर उसे थाम कर बैठ जाते हैं। फिर आसपास क्या चल रहा है नहीं दिखता। अपनी परछाईयाँ भी तब गायब हो जाती हैं। हम वही थम जाते हैं और वक्त रुक जाता है मानो! - सीमा
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