Saturday, August 6, 2016

ख्याल


तुम कुछ नहीं बस एक ख्याल थे,
एक स्वप्न थे जो
इस दुनिया से परे ले जाता है।
समय- असमय
जिसे देखकर
उस स्लाइड वाले झूले से
फिसलने जैसा एहसास होता है
जहॉ ऊपर से नीचे की तरफ आना ही
आनंद  है!

ओह!
हकीकत से पहले ये
ख्याल  चुपके से
क्यों चले आते हैं!!

-  सीमा
(उम्र के एक पड़ाव से उठा के लाए गए कुछ एहसास)

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