Friday, August 12, 2016

मैं लिखती हूँ प्रेम

मैं लिखती हूँ तितली
तुम उसे 
हाथों में पकड लेते हो!

मैं लिखती हूँ वंसत
तुम रंगो में
डूबने लगते हो!

मैं लिखती हूँ बादल
बिन बरसात तुम
भींगने लगते हो!

मैं लिखती हूँ प्रेम
तुम जाने क्या
महसूस करते हो!
सीमा

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