Sunday, August 28, 2016

मिट्टी

मिट्टी
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कुम्हार के चाक पर
चढ़ी मिट्टी
चौकस रहती  है
अपने हर दबाव पर
कि नाचते - नाचते
ना जाने वह कौन सा रुप ले ले!
फिर वही रुप उसकी
जिंदगी बन जाती है!
- सीमा

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