Wednesday, May 25, 2016

सपनों का राजकुमार
************************
प्रेम की डगर पर
उसका हाथ थामने
आया था उसके
सपनों का राजकुमार
बिल्कुल सपनों वाला 
वह भी उसके घोड़े पर
खुशी -खुशी चढ़ कर
चली आई उसके महल
पर कर्तव्यों से बंधा राजकुमार
उसे वहीं छोड़ कर
करता रहा अपने कर्तव्यों का निर्वाह
उसके पास वक्त की कमी थी
जिम्मेदारियाँ ज्यादा थीं।
वो अपने शासक पिता का
आज्ञाकारी राजकुमार था,
अपनी रानी माँ का अनुशासित बेटा था,
अपनी प्रजा का दुलारा राजकुमार था
पर वो यह भूल गई थी कि
वो कौन है
उसने जिसका हाथ थामा वो कौन था,
वह यह भूल गई थी कि उसकी
पसंद क्या थी!!
उसके सपनों की मंजिल कहाँ थी!!
वो सब कुछ भूल कर अब कुछ भी नहीं थी।
एक साया सी वो
इधर-उधर भटकती और
उसका प्राण
राजकुमार की मुटठी में था।
उस राजकुमार ने
बहुत नाम कमाया
उसने बहुत प्रशंसा कमाई
जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा
वह प्रेम के डगर की
कहानी को भूल चुका था
राजकुमार ने अपना
सुनहरा वक्त भी
सबमें बाँट दिया
और साथ ही बाँट दी
उस प्रेम पिपासी की
सारी खुशियाँ
हर कोई उसकी
महानता की गाथा गाता
और राजकुमार
खुश हो जाता।
{इस दास्तान का मूल संदेश है
कि एक राजा के सफलता के पीछे
उसकी रानी के प्रेम की कुरबानी होती हैं।}
~ सीमा

1 comment:

  1. शुभ प्रभात
    अब आया समझ में
    आप मेरी विभा दीदी
    से जुड़ी हुई हैं
    मैं भी सोच रही थी...कल अचानक
    मैं क्यों आकर्षित हो गई..
    आदरणीय विभा दी मेरे बारे मे सब बता देंगी
    सादर

    ReplyDelete