सुनो दुनिया वालों ,
हमें यूँ ही
रहने दो,
डरी,सहमी
गृहणि बनकर।
हमें घर से
बाहर मत निकालो!!
रहने दो,
डरी,सहमी
गृहणि बनकर।
हमें घर से
बाहर मत निकालो!!
हम अपनी गोल घड़ी की तरह
घर की दीवारों से
जकड़ी रहना पसंद करती हैं।
घर की दीवारों से
जकड़ी रहना पसंद करती हैं।
हमें अपरिचित चेहरों के बीच
कुछ अजीब सा लगता है ।
हमें भीड़ में अक्सर खो जाने का
डर लगता है
कि घर में रहती औरतें
बहुत सुरक्षित होती हैं।
हाँ ,उन्हें सुरक्षित रखा जाता है
ताकि घर सुरक्षित रह सके।
उन्हें घर में भी सुरक्षित
रहने के लिए ढेर सारी
हिदायतें दी जाती हैं।
उन्हें दो दिनों की यात्रा पर
कहीं जाना हो तो
घर वाले उदास हो जाते हैं।
वे खुद भी
अपने बच्चों,पति,
पेड़-पौधों,पेटस के
बगैर नहीं रह पातीं।
कुछ अजीब सा लगता है ।
हमें भीड़ में अक्सर खो जाने का
डर लगता है
कि घर में रहती औरतें
बहुत सुरक्षित होती हैं।
हाँ ,उन्हें सुरक्षित रखा जाता है
ताकि घर सुरक्षित रह सके।
उन्हें घर में भी सुरक्षित
रहने के लिए ढेर सारी
हिदायतें दी जाती हैं।
उन्हें दो दिनों की यात्रा पर
कहीं जाना हो तो
घर वाले उदास हो जाते हैं।
वे खुद भी
अपने बच्चों,पति,
पेड़-पौधों,पेटस के
बगैर नहीं रह पातीं।
उन्हें अपना तकिया,
अपना बाथरूम बेहद पसंद होत है।
अपना बाथरूम बेहद पसंद होत है।
सच कहूँ तो एक औरत को
घरेलू बना दिया जाता है
पर इसे बांध कर रखना नहीं कहते ।
इसे बंधन का आदी होना कहते हैं!!
घरेलू बना दिया जाता है
पर इसे बांध कर रखना नहीं कहते ।
इसे बंधन का आदी होना कहते हैं!!
~ सीमा
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