Thursday, April 7, 2016

   वह लिखती रही 
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वह लिख जाती थी
बहुत कुछ
खिंचाव,लगाव,प्रेम,
बेचैनी,खुशी,गम,
मिलन, जुदाई दर्द।
वह सदियाँ लिखती थी
और सो जाती थी उसमें,
वह सपने लिखती थी
और खो जाती थी उसमें ।
उसने शब्दों के नाम
जिंदगी लिख दी ।
वह रंगती गयी
हर किस्से
अपनी पसंद की
स्याही से ।
वह जीती रही
 एक साथ
कितनी ही
 जिंदगीयों को ।

- सीमा

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