वह लिखती रही
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वह लिख जाती थी
बहुत कुछ
खिंचाव,लगाव,प्रेम,
बेचैनी,खुशी,गम,
मिलन, जुदाई दर्द।
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वह लिख जाती थी
बहुत कुछ
खिंचाव,लगाव,प्रेम,
बेचैनी,खुशी,गम,
मिलन, जुदाई दर्द।
वह सदियाँ लिखती थी
और सो जाती थी उसमें,
वह सपने लिखती थी
और खो जाती थी उसमें ।
और सो जाती थी उसमें,
वह सपने लिखती थी
और खो जाती थी उसमें ।
उसने शब्दों के नाम
जिंदगी लिख दी ।
जिंदगी लिख दी ।
वह रंगती गयी
हर किस्से
अपनी पसंद की
स्याही से ।
हर किस्से
अपनी पसंद की
स्याही से ।
वह जीती रही
एक साथ
कितनी ही
जिंदगीयों को ।
- सीमा
एक साथ
कितनी ही
जिंदगीयों को ।
- सीमा
Khubsurat 😊
ReplyDeleteThank u
DeleteKhubsurat 😊
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteThank u
DeleteThanks a lot
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