Friday, March 4, 2016

सुख का एहसास


मैंने अक्सर देखा है
उसे रोते हुए ,
किताबें पढते-पढते,
फिल्में देखते -देखते,
किसी से फोन पर
बातें करते -करते ,
अल्मारियों से अपने
पुराने और पसंदीदा
लिबास खोलते -समेटते
हर बार वजह
बहुत अच्छी होती थी।
हाँ, ज्यादा अच्छी बातें
उसके अंतर्मन को
भिंगो देती थी !
कि कभी -कभी
सुख का ए
हसास भी
आँखो के झरने से
बह निकलता है!
- सीमा

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