Saturday, February 6, 2016

उदासी


उदासी हर किसी के
पास होती है
अपने -अपने ढंग
से ओढी उदासी,
अपने -अपने 
तानों -बाने से
बुनी उदासी।

कभी लाचारगी,
कहीं बेचारगी ,
अपने -अपने जिम्मेदारियों
के तले दबी उदासी।

कभी पूछ के देखना 
किसी से कि कैसे हो? 
कुछ अचकचा जाएगें,
कुछ हस के छिपा लेंगे,
कुछ नजरें झुका लेंगे
और कुछ हमसे ही
पूछ बैठेगें कि आप कैसे हो? 
हाँ ,हसी,खुशी,
सुख ,दुख के बीच ही तो
होती है ये उदासी!!
तो तुम उदास मत होना
कि कहीं भी ज्यादा देर
नहीं रूकती है
ये उदासी!!
- सीमा

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