Tuesday, February 16, 2016

मैं खिलखिलाई

मैं  खिलखिलाई।

लगा धूप का रंग

खिल उठा हो।

हवाएँ किसी
 फूलो वाली घाटी से
आ रही हो।

पौधे हिल मिल के
कोई गान गा रहे हों।

पंछी गगन के
वितान को मापने
जा रहे हों।

चिड़िया अपने चीडे को
प्रेम गीत सुना रही हो।

मै खिलखिलाई

मेरे चारों ओर
खुशियाँ लहराई।

मैँ  उदास हुई
हर दृश्य का
रंग कम पड़ गया ।

- सीमा 

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