Wednesday, December 9, 2015

मुट्ठी

तुम्हारी तरफ

एक भी उगुँली उठे


यह तुम्हें बर्दाश्त नहीं था !


इसलिए मुट्ठियों भींच


रखी हैं मैंने!!



-  सीमा 

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