Tuesday, December 22, 2015
Friday, December 18, 2015
डायरी
सहेज नहीं पातीं
ज्यादा उठा पटक !
वो शांत
रहने लगी हैं !
पिछले पतझर में
उसने झाड़ दिए थे
अपने सारे पीले पत्ते !
दफ़न किया हुआ
हर शब्द
अब साँसे लेने लगा है !
डायरियों ने अपना
लिहाफ झाड़ लिया है !
शब्द परिंदो की तरह
अब बेख़ौफ़
मंडरा रहे हैं
इधर - उधर !!
- सीमा
पीले पत्ते = पीले पन्ने
Thursday, December 17, 2015
अनमोल धरोहर
अनमोल धरोहर
***************
ओह ! तुमने कितने ही
हसीन पल खो दिए !
जिंदगी ने कई बार
मौका दिया
पर तुम तो
रफ़्तार पसंद हो ना !
मुझे फिक्र है
तुम्हारे बुढ़ापे की !
(जाने मै तब
रहूँ या ना रहूँ !!)
इन
बर्फीली हवाओ वाले
मौसम में तब
तुम्हारे पास
नहीं होगी
यादो की अंगीठी !!
हाँ ,यही यादें तो
हमे गर्म रखती हैं
ठिठुरती सर्दियों में !
ये खट्टी ,मीठी यादें
अनमोल धरोहर हैं !
आओ कुछ
खट्टे ,मीठे पलों को
यादों के खाते में
जमा कर लें !
सर्दियों के
दस्ताने और जुराबों
के साथ इन्हे भी
संभाल कर रख लें !!
- सीमा
Wednesday, December 16, 2015
भ्रम
रिश्ते ख़त्म नहीं होते
लम्बी चुप्पी से !
बस कभी ,कभी
मन अनमना सा हो
जाता है !
अपनी परेशानियों को
नहीं बाँटना चाहता
अपने बहुत
अजीज मित्रो से भी !
लम्बी चुप्पी से !
बस कभी ,कभी
मन अनमना सा हो
जाता है !
अपनी परेशानियों को
नहीं बाँटना चाहता
अपने बहुत
अजीज मित्रो से भी !
हम सब इक से
नहीं होते ना !
तो कही ना कही
गुंजाईश होती है
नकारे जाने की !!
नहीं होते ना !
तो कही ना कही
गुंजाईश होती है
नकारे जाने की !!
और इस दरम्यान
पसर जाती है एक
खामोशी !!
जो भ्रम पैदा करती है !!
- सीमा
Saturday, December 12, 2015
तेरी मर्जी
मुझे पता है
तुम्हारी मर्जी के बगैर
एक पत्ता भी नहीं हिलता !
और मै बेसब्र अपनी हर
परेशानी में तुम्हे
झकझोर देती हूँ
कितने सवाल कर जाती हूँ
तुमसे !
- सीमा
तुम्हारी मर्जी के बगैर
एक पत्ता भी नहीं हिलता !
और मै बेसब्र अपनी हर
परेशानी में तुम्हे
झकझोर देती हूँ
कितने सवाल कर जाती हूँ
तुमसे !
- सीमा
Friday, December 11, 2015
गुलाबी पंखुरियाँ
उसे कहा गया
कि इसी जगह पर
वह मिलेगा
तुमसे !
वह इंतज़ार
करती रही !
आज उसी जगह पर
सबने
एक समाधि देखी !
कुछ दिनों बाद
उसे भी
देखा गया !
वह आया था
दो बूँद आँसू
और हथेली पर
गुलाबी पंखुरियाँ लेकर !!
- सीमा
Thursday, December 10, 2015
ईशान कोण
***************
इस खानाबदोश जिंदगी में
कितनी जगह स्थापित किया
मैने अपना पूजा घर
और हर तबादले पर
जगाती रही
भगवान को ,
आग्रह किया
साथ चलने को ।
कितनी दिनों तक
कूट के डब्बो में
बंद रहे भगवान
और मै व्याकुल होती रही ।
नए घर में फिर
सजाती ईशान कोण
पुनः विराजते भगवान
और मन को तसल्ली मिलती ।
अचानक ह्रदय परिवर्तन हुआ !
प्रभु ह्रदय में
बसने लगे !
अब मै ईशान कोण क्यूँ ढूँटती
ह्रदय से हटा कर
उन्हें कहाँ रखती !!
- सीमा
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इस खानाबदोश जिंदगी में
कितनी जगह स्थापित किया
मैने अपना पूजा घर
और हर तबादले पर
जगाती रही
भगवान को ,
आग्रह किया
साथ चलने को ।
कितनी दिनों तक
कूट के डब्बो में
बंद रहे भगवान
और मै व्याकुल होती रही ।
नए घर में फिर
सजाती ईशान कोण
पुनः विराजते भगवान
और मन को तसल्ली मिलती ।
अचानक ह्रदय परिवर्तन हुआ !
प्रभु ह्रदय में
बसने लगे !
अब मै ईशान कोण क्यूँ ढूँटती
ह्रदय से हटा कर
उन्हें कहाँ रखती !!
- सीमा
Wednesday, December 9, 2015
मुट्ठी
तुम्हारी तरफ
एक भी उगुँली उठे
यह तुम्हें बर्दाश्त नहीं था !
इसलिए मुट्ठियों भींच
रखी हैं मैंने!!
- सीमा
एक भी उगुँली उठे
यह तुम्हें बर्दाश्त नहीं था !
इसलिए मुट्ठियों भींच
रखी हैं मैंने!!
- सीमा
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