Wednesday, October 14, 2015

ऊपरवाला

आज एक गहरी खामोशी
पसरी थी
मेरे आसपास !
ना तो आसमान की ओर
नजरें थीं ,
ना जमी पर थी निगाहें !
किसी से ना कुछ कहना था !
किसी से ना कुछ सुनना था !
वो खामोश सा मेरे अंदरस्क्रिप्ट
उतर गया था आज !
हाँ आज वह मेरे बहुत
पास था
क्योंकि वह भी बहुत
बेचैन था
कुछ दिनों से !!

वो - ऊपरवाला ( खुदा,रब ,भगवान )
- सीमा

2 comments:

  1. seema ji main kavita padne ka shokeen nahi hu. But apki likhi huyi ek se ek kavitaye iss khubsurti se likhe huye hain ki main padhne pe mazboor ho gaya hu

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