Saturday, October 31, 2015

बेचारगी


तमाम बेचारगी
उसके माथे पर
लिखी थी!!
कि ये शहर था
तानाशाहों का !!
-सीमा

स्क्रिप्ट


वह हार कर
बैठ गई थी
झल्लायी सी ।
सोचा अब कभी 
नहीं उठूंगी ।
शरीर त्याग दूँगी ।

पर तभी उसकी गोद में
आ गिरी एक घायल चिड़ियों
रक्त से सनी हुई
वह हड़बड़ा कर उठी |

पत्ते का मलहम बनाया
और लग गयी उसकी
मरहम पट्टी करने में ।

ये ऊपरवाले की
लिखी हुई स्क्रिप्ट थी !!
-सीमा

Wednesday, October 14, 2015

चीख

नहीं मिल पा रही वो खुशी
जितनी जिंदगी को जिए जाने
के लिए चाहिए ।
बाहर से आने वाली
कुछ चीखें
घर के खाली बर्तनों में
समा गई है!
दीवार की दरारों में
घुस गईं हैं।
कि रक्त सबका एक
सा ही होता है और
मेरे रक्त ने मुझे
भेदभाव करना नहीं
सिखाया
इसलिए हर बार
किसी की चीख
मुझे दर्द देजाती है
और रोज ही कुछ
घंटों का मौन रहता है
मेरे साथ !!

- सीमा

ऊपरवाला

आज एक गहरी खामोशी
पसरी थी
मेरे आसपास !
ना तो आसमान की ओर
नजरें थीं ,
ना जमी पर थी निगाहें !
किसी से ना कुछ कहना था !
किसी से ना कुछ सुनना था !
वो खामोश सा मेरे अंदरस्क्रिप्ट
उतर गया था आज !
हाँ आज वह मेरे बहुत
पास था
क्योंकि वह भी बहुत
बेचैन था
कुछ दिनों से !!

वो - ऊपरवाला ( खुदा,रब ,भगवान )
- सीमा

Sunday, October 4, 2015

उसके होने से

उसके होने से ,
उदास शब्दों में भी 
जिंदगी थी !

उसके जाने से 
 मानो शब्द भी 
बेमानी हो गए हों! 

- सीमा 

Friday, October 2, 2015

अच्छी हूँ


दर्द की पीड़ा से
आँसू छलकने ही
वाले थे !

तभी एक
फोन कॉल आया
कैसी हो ?

हँसते हुए मैंने
कह दिया.....

ठीक ही हूँ!

उसने कहा
ऐसे नहीं कहते
अच्छी हूं कहना !

सुनने वाले को भी
अच्छा लगता है !!

चलो
अब से
अपने दर्द को
अपने पास ही रखूंगी
किसी से कहूँगी नहीं !!

क्या पता किसी ने
थोड़े से सुकून के लिए
मुझे कॉल किया हो !!
- सीमा