तुमने कहा कि
मुझे जुल्फों में
बसा लो ,
मैंने कहा
उलझ जाओगे !
तुमने कहा
मुझे आँखों में
छुपा लो ,
मैंने कहा
कैद हो जाओगे !
तब तुमने
पकड़ लिया
मेरा हाथ !
मै भी चलती रही
उन हाथो को
थाम के !
जिंदगी
सुहानी
लगने लगी !
पर जाने कब
बंधन ढीले
पड़ गए !
तुम कही
और थे ,
मै कही
और थी !!
सच ,हमसफ़र बनना
इतना आसान
नहीं होता
कि मंजिले और ठिकाने
जाने कब बदल जाये !!
- सीमा
No comments:
Post a Comment