Sunday, August 16, 2015

नून, तेल, लकड़ी



प्रेम कहानी में
एक दीवानी होती है ,

एक मस्ताना होता है 
दोनों के बीच आता है 
इश्क़ आता है 
 सीना ठोंक के !

हवाओ में बिखर जाती है 
इश्क़ की खुशबू !

मस्ताना करता है 
बहकी ,बहकी बातें  ,
दीवानी और भी 
दीवानी हो जाती है !

पर इश्क़ से  ही तो 
नहीं भरता  ये पेट !
तब मस्ताना 
उगाता है मक्का ,
बिखेरता है 
सरसों के बीज !

खेत भी लहलहाती है 
उसी इश्क़ की तरह !

दीवानी सेंकती है 
मक्के की रोटी ,
पकता है
 सरसों का साग !

जिंदगी यूँ ही 

चलती रहती हैं ,
रोटियाँ यूँ ही 
सिकती रहती हैं !

कि  नून ,तेल ,लकड़ी के 
बिना कोई भी कहानी 
पूरी नहीं होती !!

- सीमा 



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