Tuesday, August 25, 2015

बुद्ध


कितनी बार 
मन भागता है 

इस संसार से

और बिना बुद्ध बने 


फिर लौट आता है


इस मायावी संसार में !!


- सीमा

जाने कब तक


जाने कब तक
चलती रहेगी
खुद को
संवारने की
तैयारियाँ,

कहीं जिंदगी ना
कम पड़ जाए
खुद को
पूरा करते,करते !!

- सीमा

Monday, August 24, 2015

एहसास



एहसासो के महकते 
गुलशन में जब 
कदम रखोगे 
तो एहसास 
होगा कि  
ये एहसास भी
 क्या खूब होते हैं 
अगर बयाँ कर दो तो !!

- सीमा 

Friday, August 21, 2015

उदासी

कभी,कभी 
छुपा के 


रख देती हूँ 

अपनी उदासियों को
किसी की महफ़िल में ,


जगमगा उठता है वह
किसी कोने में 


रोशनी बनकर !!


-सीमा

हमसफर


तुमने कहा कि 
मुझे जुल्फों में 
बसा लो ,
मैंने कहा 
उलझ जाओगे !

तुमने कहा 
मुझे आँखों में 
छुपा  लो  ,
मैंने कहा 
 कैद हो जाओगे !

तब तुमने 
 पकड़  लिया
 मेरा हाथ !

मै भी चलती रही 
उन  हाथो को 
थाम  के ! 
जिंदगी
सुहानी
लगने  लगी !

पर जाने कब 
बंधन ढीले 
पड़ गए !

तुम कही 
और थे ,
मै कही 
और थी !!


सच ,हमसफ़र बनना 
इतना आसान 
नहीं होता

कि  मंजिले और ठिकाने 
जाने  कब बदल जाये !!
- सीमा 



जिंदगी की नदी



तुम्हें शब्दों में 
समेटूँ तो

बुरा तो 
नही मानोगे

कि तुम्हारे 

आसपास ही कहीं 

जिंदगी की नदी 

बहती है !!

- सीमा

बेमकसद



एक दिन जो

बेमकसद से गुजरा,

कितनी उदासियों को

इकट्ठा कर गया !!

- सीमा

Wednesday, August 19, 2015

बाँसुरी



उसने मन को 
खोखला 

कर लिया था,


दूर कहीं 


बांसुरी की धुन 
बज रही थी !!


- सीमा

जंगल

     

जंगलों को देखा है 

बड़ी तेजी से


पनपते मैंने ,


एक पौधे को

गमले में उगाना


जरा मुश्किल सा लगा !!


- सीमा

Tuesday, August 18, 2015

बादल और नदी


वो बादल था ,
वो थी एक नदी !
जब - जब बरसता बादल 
नदी इतराती ,
अपना विस्तार पाती !

फिर कुछ दिनों तक 
बादल बरसा ही  नहीं !

नदी उदास रहने लगी ,
बादल भी बरसना 
चाहता था 
पर वो मजबूर था !

कि बारिशो के मौसम 
जा चुके थे !

बादल को लौटना था 
अपने गाँव 
वो उदास मन से 
निकल चुका था 
बूँदो को खुद में 
समेट के !

 नदी शांत हो 
गयी थी !
कुछ दिन 
तड़पने के बाद !

मौसमो का 
आना -जाना
 यूँ ही लगा 
रहता है !

दोनों समझ 
चुके थे !

(बादल और नदी 
दोनों समझदार थे !!)
- सीमा 

Monday, August 17, 2015

डोर


पतंग को ढ़ील 
दो तो वो 
इधर ,उधर 
भागती है ,
आजाद समझ 
बैठती  है 
खुद को !

पर अचानक 
एक झटका
 लगता है !

उसे याद आ 
जाता है कि 
वो एक डोर से 
बँधी  है !

बहुत बार 
हम भी
पतंग की 
तरह उड़ने लगते हैं
पर

हमारी डोर 
हमें कस के
पकड़ रहती है। 

- सीमा 










हवा

   हवा
*********
हवाएँ ले के चलती हैं,
खुशी, उदासी, प्रेम ,
दीवानापन !
जाने कब , क़्या
हमसे टकरा जाए !!
- सीमा

नदियाँ


नदियाँ बहा कर
लाती हैं अपने साथ बालू
उन्हें पता होता है कि
हर इंसान को
रखनी पड़ती है
एक मकान की नींव ,
हर किसी को
 होती है!
एक छत की
जरूरत !
सागर मे
मिलने से पहले
वो कितने इंतजामात
कर जातीं हैं !

ये नदियाँ
लहरें  बनके
फिर भी
लौट ,लौट के
आती हैं !!


- सीमा

बेवक्त

जो जिंदा है मुझमें
वो तुम हो .....
वरना बे वक्त
मेरी मौत होनी
तय थी !!
- सीमा

Sunday, August 16, 2015

नून, तेल, लकड़ी



प्रेम कहानी में
एक दीवानी होती है ,

एक मस्ताना होता है 
दोनों के बीच आता है 
इश्क़ आता है 
 सीना ठोंक के !

हवाओ में बिखर जाती है 
इश्क़ की खुशबू !

मस्ताना करता है 
बहकी ,बहकी बातें  ,
दीवानी और भी 
दीवानी हो जाती है !

पर इश्क़ से  ही तो 
नहीं भरता  ये पेट !
तब मस्ताना 
उगाता है मक्का ,
बिखेरता है 
सरसों के बीज !

खेत भी लहलहाती है 
उसी इश्क़ की तरह !

दीवानी सेंकती है 
मक्के की रोटी ,
पकता है
 सरसों का साग !

जिंदगी यूँ ही 

चलती रहती हैं ,
रोटियाँ यूँ ही 
सिकती रहती हैं !

कि  नून ,तेल ,लकड़ी के 
बिना कोई भी कहानी 
पूरी नहीं होती !!

- सीमा 



नज्म



नफरत की आँधी में भी 

दिल में छुपा के रखूँगी

मैं प्रेम तुम्हारा !!

आँधियाँ मुझे छू के
 
गुजर जाएंगी !!
- सीमा
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जब भी तन्हाई 

समाने लगे मुझमे 

हाथ पकड़ लेना मेरा 

कि डूबने लगती हूँ 

इन अंधेरो में 

मै तुम्हारे बिना !!

- सीमा 
******************


Saturday, August 15, 2015

यादें


इसी पन्द्रह अगस्त 
 के दिन
तुमने अपने हिस्से का
 एक लड्रडू
मुझे दे दिया था,

वो हमारी दोस्ती का
पहला दिन था ना !
ये यादें भी ना 
तारीखों को दर्ज रखती हैं 
अपने सीने में! 
- सीमा

झंडा ऊंचा रहे हमारा



वो भी कितने
सुंदर दिन थे ना,जब
झंडे लिए हम दौड़ पड़ते थे
और कभी - कभी
एक दूसरे से टकरा के
गिर पड़ते थे पर
झंडे को उठा के
रखते थे हरदम! 
झंडे को ऊंचा 
रखते थे हरदम! 
जय हिंद। वंदे मातरम् 
- सीमा

Thursday, August 13, 2015

अक्सर



वो अक्सर 
 रो पडता था
 उसके लिए 
जिसके कारण वो

हॅसा करती थी !!
- सीमा

Wednesday, August 12, 2015

खुल के जीना



अपने भीतर एक 
तूफ़ान दबाकर वो 

हवाओं को 
सिखाती थी 
आहिस्ता चलना !!

काँटो को उखाड़ के 
फूलो को 
कहती थी  वो 
खुल के जीना !!

- सीमा 


भेदभाव



फूल कहीं भी
खिल जाते हैं
बिना भेदभाव के ,

झरने हर जगह 
बहते हैं झर झर के ,

पर मानव काटते-छॅाटते
रह जाते हैं उम्र भर
खुद को,

बॅाटते रह जाते हैं
देश,सीमाओं और
रीति,रिवाजों में
खुद को !!

- सीमा

खवाब


मुझे मेरे बचपन के 

घेरेदार फ्राक याद

नहीं आते कि 

मेरे साथ अभी भी 
जीती है एक छोटी लड़की
 
जो अक्सर पहन लेती है
पार्टी गाउन


और इतरा के
चलती है रैम्प ( Ramp) पर !!


- सीमा 

बादल


अक्सर बादल
मस्त हवाओं के
साथ बहते कहीं
दूर निकल जाते हैं,

कोई प्यासा ही रह जाता है 
वो कहीं और बरस जाते हैं !!

- सीमा

Saturday, August 8, 2015

अलमारी

                                     
एक बंद अल्मारी ,
कितना कुछ
दबाए रखती है
अपनेअंदर,
रूपए,पैसे,
गहने,कागजात
छोटी से छोटी चीजौ  को
और पुराने से पुराने
शब्दों को,
पीले पड़े
कागजो पर,

कितने राजों को
परत दर परत
दबाकर रखती हैं ये !

इन अलमारियों को
बिखेरने की कोशिश
मत करना,कि
बहुत वक्त लगता है
इन्हें सजाने,सवारने में,
इनके भीतर
जगह बनाने में!!
- सीमा

Friday, August 7, 2015

हमारा भविष्य




मै बहुत बार 
भाग आती हूँ 
उस बैठकी से 
उठकर 
जहाँ चलती रहती है 
बदलाव की बातें 
जानती हूँ कुछ भी 
बदलने वाला नहीं !!

राजनीति की उठापटक 

और नेताओ के
भाषणो के बीचसे भी 
निकल आती हूँ कि 
यहाँ  भी कुछ  सुधरने वाला नहीं !!

सास,बहु ,काम वालियों के 
किस्से भी नहीं खीचते अब मुझे !

मै आ बैठती हूँ 
छोटे ,छोटे बच्चो के बीच ,
गले मिलती हूँ 
उन किशोरियों से 
जो खुल के सांस लेती हैं 
और हमें भी 
जीना सिखाती हैं !

मै अपनी सारी 
परेशानियों को झटक 
हँसती ,बोलती हूँ 
बच्चो के साथ 
कि ये ही हमारे 
भविष्य हैं ,

ये ही हमारे वर्तमान !!

- सीमा 

Thursday, August 6, 2015

# तुम

तुम अपने
दीवानेपन में 

 कह जाते हो 
जो भी 
वो जमा रहती हैं 
मुझमे !

हाँ तभी तो 
उमस भरे दिनों में भी 
 ये भींगोती  रहती हैँ 
मुझको   !!

- सीमा 

Wednesday, August 5, 2015

जीना इसी का नाम है

कुछ लोग जीते हैं। 

कुछ लोगो को जीना 
पड़ता है ,
कितना फर्क है ना 
दोनों में 
पर दुनिया इसी पे 
कायम है सीमा !!

- सीमा 



Tuesday, August 4, 2015

समय

 जब समय सही
नहीं होता तो
अपनी ही बनाई
सुन्दर सी तस्वीर पे
गलती से रंग बिखर
जाते हैं और
एक तस्वीर
रंगो के तले
दफ़न हो जाती है !!

-  सीमा


Monday, August 3, 2015

इन्द्रधनुष

थोड़ी सी बारिश ,
 थोड़ी सी धूप 
ले आओ !
मुझे इन्द्रधनुष 
बनाना है !!

गम और खुशियो 
में हेर- फेर कर के 
जीवन के गीत को 
गाना है !!
- सीमा