Monday, July 20, 2015

अंतर्मन


मै कुछ  तुम पर 
लिखती हूँ ,

 तुम भी कुछ 
मुझ पर 
लिखो ना !!


बहुत कुछ 
अव्यक्त है 
आओ इसको 
पढ़ो ना !

कुछ रहस्य 
 निकल आए 
कहीं ,

कुछ उलझा 
सुलझ जाए
 कहीं ,

अब तक जो 
बिखरा पड़ा था 
वो मन संवर 
जाए
 कहीं ,

मै कुछ  तुम पर  
लिखती हूँ ,

 तुम भी कुछ 
मुझ पर 
लिखो ना !

- सीमा 


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