Monday, June 29, 2015

बहाव


कितनी ही नदियों
का बहाव 

होता रहता है
अंदर ही अंदर !


सही दिशा के तलाश में 

ये भटकती रहती हैं !


कितनी बाधाओं को
ये करती

 रहती  है पार
निकलती है
इधर -उधर से
रहती है
बहने को तैयार
अड़चनों से
गुजरते ,गुजरते
नदियाँ नालो में
बदल जाती हैं !!
फिर भी ये
बहती रहती है.!

फिर भी ये
बहती रहती है.!!

-  सीमा 

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