कितनी ही नदियों का बहाव होता रहता है अंदर ही अंदर ! सही दिशा के तलाश में ये भटकती रहती हैं ! कितनी बाधाओं को ये करती रहती है पार निकलती है इधर -उधर से रहती है बहने को तैयार
अड़चनों से गुजरते ,गुजरते नदियाँ नालो में बदल जाती हैं !!
फिर भी ये बहती रहती है.! फिर भी ये बहती रहती है.!!
होता है कुछ इशारा उस रब का ही, कुछ बातें चाह के भी पूरी हो नहीं पातीं ! सपनो के शहर के , कुछ सपने ही सच होते , हर सपने मे सच होने की औकात नहीं होती !! चाहत मन की मन में दबी ही है रह जाती , किस्मत हर चाहत का साथ नहीं देती !! - सीमा