देखो क्षितिज
धरती ,गगन का सुन्दर मिलन !
अहा! कितना सुहाना लगता है ना यह दृश्य,
पर नहीं ,ये तो एक छलावा है ,भरम है
आँखों का धोखा है बस !
जब टूटता है यह भरम
हो जाता है सब साफ़ ,साफ़
कहो ना, तुम कब झुके हो मुझ तक और
मै कब पहुंच पाई हूँ तुम तक.....
सीमा श्रीवास्तव
जब टूटता है यह भरम
हो जाता है सब साफ़ ,साफ़
कहो ना, तुम कब झुके हो मुझ तक और
मै कब पहुंच पाई हूँ तुम तक.....
सीमा श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment