मेरे भावों को बिठाया है अपने पास ,
बताया है मुझे अपने मर्म ,भेद
गुदगुदाया है मुझे हौले से आकर ,
बहलाया है गले लगाकर।
दूसरो के दुःख ,दर्द सुनाकर
तूने हर बार साँझा किया है
सबके सुख - दुःख ,किस्से ,कहानियाँ।
अपने छोटे ,छोटे कदमो से तू
नापती रहती है कितनी
पगडंडियाँ ,कितने वीराने ,
कितने नजराने ,कितने अफ़साने
वाह री कविता ,वाह री कविता !
- सीमा श्रीवास्तव
(विश्व कविता दिवस के अवसर पर )
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