चरैवेति - चरैवेति
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प्रवाह जरुरी है ,
कही भी ,कभी भी ,
किसी भी रूप में।
की थम जाना
सड जाने सम है।
अभिव्यक्त करो
अंतर्मन को ,
जी लो हर पल को।
ज्यादा उलझो नहीं ,
खीचते रहो मन के धागे।
जैसे हो ,जो हो ,
तुम उसकी रचना हो।
तो रचयिता के गुण को अपनाओ।
रचते रहो ,रचते रहो।
सृजन करते रहो,
सृजन करते रहो !!
- सीमा श्रीवास्तव
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प्रवाह जरुरी है ,
कही भी ,कभी भी ,
किसी भी रूप में।
की थम जाना
सड जाने सम है।
अभिव्यक्त करो
अंतर्मन को ,
जी लो हर पल को।
ज्यादा उलझो नहीं ,
खीचते रहो मन के धागे।
जैसे हो ,जो हो ,
तुम उसकी रचना हो।
तो रचयिता के गुण को अपनाओ।
रचते रहो ,रचते रहो।
सृजन करते रहो,
सृजन करते रहो !!
- सीमा श्रीवास्तव
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