Seema Kee Lekhanee
Sunday, March 1, 2015
बेमौसम
बेमौसम बरसात सा प्यार
तुम्हारा ,
अपने
मन की
हरदम कर जाता है
जेठ में ये दिखाता है नखरे ,
और बेवक़्त बरस जाता है
कि जब जरुरत पडी
नहीं मिला साया ,
धूप ही धूप रास्ते मेँ मिला
एक दरख़्त ढूंढती मै रही
दूर तलक ना कहीं छाँव दिखा !!
सीमा श्रीवास्तव
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