Seema Kee Lekhanee
Saturday, February 21, 2015
मीठे झरने
वो कुछ उधार के शब्द थे,
जो मैंने दिए थे उस दिन तुम्हें ,
बस यूँ ही तुम्हारी ख़ुशी के लिए ,
हॉ ,सच तो है कि
वो प्रीत तुम जगा कहॉ पाये
कि मन से
बहने
लगे
शब्दों के मीठे-मीठे झरने
खुद व खुद
!!
- सीमा श्रीवास्तव
1 comment:
प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ'
February 22, 2015 at 11:20 PM
वाह...लाजवाब प्रस्तुति...
और
@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
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वाह...लाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteऔर@जा रहा है जिधर बेखबर आदमी