Tuesday, February 24, 2015

होली




(1)
धरती को रंगो से
सजा देख कर
आसमा भी है मचल रहा,
रंगो की चुनर में छुपी
धरा पर,.देखो !
गगन है मर रहा.।
(2)
दो दिन कर के
रंग बिरंगे
चल जाती है होली
सब के मन में
प्रीत जगा कर
मुस्काती है होली..।
(3)
भींग भींग कर
रंगो में
सब आज हुए
चट्कीले,
चलो. बहुत भागे रंगों से  
चल आज मुझे तू रंग दे ।

सीमा श्रीवास्तव 

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