Saturday, February 28, 2015

प्रेम में




वो हिम सा पिघल रहा था प्रेम में,

वो नदियों सी बहती जा रही थी..

वो पत्थर से बन चुका था मोम,

वो लौ सी जलती जा रही थी !!

- सीमा श्रीवास्तव 

Tuesday, February 24, 2015

पायल



पैरो की ख्वाहिश थी तो
पहन ली मैंने पायल,
छन ,छन इनकी सुन कर तुम
मत हो जाना घायल !!
जब से जुडी है डोर प्रीत की
मन फागुन सा बौराता है
तेरी अंखियो में जो प्यार छुपा
वो मुझको पागल कर जाता है!!
तेरे मन के मधुर तान की
मैं बन जाऊ जोगन
देखो ,पायल मिलने को तुझस्रे
करती है कैसे छन छन...


सीमा श्रीवास्तव

(शब्द अंतराक्षरी से अनायास बन गई एक रचना )

जादू भरी लड़कियों


कितनी जादू भरी लड़कियों पर 

रचे  जा चुके   है काव्य ,
लिखी जा चुकी हैं कहानियाँ !

पर कितनों ने चाहा होगा 

किसी  टूटती हुई

 लड़की को जोड़ना !!

किसी के  सोये  हुए

 सपनो को जगाना !

किसी को प्रेम से 

अपना बनाना !!


- सीमा श्रीवास्तव

महफिल


बहुत सोच समझ कर
अब मुस्कुराना पडता है
उनकी महफिल में दिल को बहुत
समझाना पडता है!!
जाने कौन सी बात को वो
दिल से लगा बैठे,
लफ्जों को परदों में अब तो
छुपाना पडता है !!

- सीमा श्रीवास्तव

होली




(1)
धरती को रंगो से
सजा देख कर
आसमा भी है मचल रहा,
रंगो की चुनर में छुपी
धरा पर,.देखो !
गगन है मर रहा.।
(2)
दो दिन कर के
रंग बिरंगे
चल जाती है होली
सब के मन में
प्रीत जगा कर
मुस्काती है होली..।
(3)
भींग भींग कर
रंगो में
सब आज हुए
चट्कीले,
चलो. बहुत भागे रंगों से  
चल आज मुझे तू रंग दे ।

सीमा श्रीवास्तव 

Saturday, February 21, 2015

मीठे झरने




वो कुछ उधार के शब्द थे, 

जो मैंने  दिए थे उस दिन तुम्हें ,

बस यूँ  ही तुम्हारी ख़ुशी के लिए ,
हॉ ,सच तो  है कि 

वो प्रीत तुम  जगा कहॉ पाये 

कि मन से बहने लगे 

शब्दों के मीठे-मीठे झरने

 खुद व खुद !!

- सीमा श्रीवास्तव 

आँसू

आँसूओ की दास्तान
****************
आँसूओ को कभी हम

छुपाते हैं।

कभी रो  पड़ते हैं

सब के सामने ही ,

चाहते हैं कोई 
 हमारे  आँसू पोंछे !

कभी अंदर ही अंदर घुटते हैं

पर रो नहीं पाते ,

कभी बड़ी बहादुरी से

सह लेते हैं सब  कुछ

बिना आँसू बहाए !!

इन आँसूओ को दिखाने ,छुपाने

और पी जाने का

  हर एक का 
 अपना अंदाज
 होता है !

 इन आँसूओ   के बिन

जिंदगी की  माला 
पूरी होती है क्या ?


सच! बड़ी अनोखी है
इन आँसूओ की दास्तान,
पर 
 कितने ही बूँदो को

छिपा लेती   है  
एक प्यारी  सी   मुस्कान !!

- सीमा 

Monday, February 16, 2015

तसहीह

मेरी गलतियो को मेरी
तसहीफ समझ के
ऐ खुदा तू ही
तसहीह कर देना...smile emoticon
सीमा...
तसहीफ = लिखावट में होने वाली चूक,...तसहीह‌= शुद्ध करना...

नारी



नारी तुम 
एक पुष्प सी..
सहेजे रखना
अपनी पंखुडियों को
 इन्हें,

बिखरने मत देना 
कि तुम अपनी 
सम्पूर्णता में ही
दिखती हो सुंदर,
आकर्षक,मोहक !!
- सीमा 

Sunday, February 15, 2015

उम्मीद

किसी और से   उम्मीदे 

पालते हो क्यूँ ?

खुद को खुद ही प्यार 

कर लो ना !!

जिसके नूर से रोशन है 

तेरी ये दुनिया 

उसे भी जरा सा याद 

कर लो ना !!

मत भूलो वो है 

तेरे ही अंदर 

खुद को एक बार 

जरा टटोलो ना !!

सीमा  श्रीवास्तव 

Saturday, February 14, 2015

गलत

क्या मै गलत हूँ??

  यह बात बार बार
 एक अच्छा आदमी सोचता है 
क्योकि  गलत आदमी तो सिर्फ 

 गलत ही सोचता है 
उसे अच्छा कुछ

 भाता जो  नहीं !!

सीमा श्रीवास्तव 

Thursday, February 12, 2015

भीड़

       भीड़ 
  ^^^^^^^^^ 

इस भीड में हम  सब
मशगूल हैं कुछ इस कदर   
कि कब ,  कौन  हुआ  लापता
है किसे खबर इसकी...!!

सीमा श्रीवास्तव 



छौंक




घर में लगे छौक से बेपरवाह
एक आगंतुक ने जैसे ही कदम रखा
लगा छीकने....
जरा रूककर वह बोला
आपको घुटन नहीं हो रही क्या..?
मैने कहा.
.अरे! आप अभी अंदर आये हो ना
मैं तो आदी हूं इन सबकी..smile emoticon
सीमा 
(कैसी लगी मेरी छौक..?)

वक्त

वक़्त की कमी हुई तो 
सँवरना भूल गए !!

उन्हें याद कर के हम 

हँसना ,रोना भूल गए !!

- सीमा श्रीवास्तव 

Wednesday, February 11, 2015

नीला आकाश

तुम हो नीला आकाश ,

मैं बादल  का एक टुकड़ा ,

कभी भी ,कहीं भी 

बरस जाती हूँ !!

सीमा श्रीवास्तव 

Monday, February 9, 2015

नाराजगी

दिन के घंटों से भी ज्यादा, इंतजाम बढ गए हैं.अपने

 दिन गुजर जाता है  खुद की तीमारदारी में....

जरा सुकून मिले तो तुझसे गुफतगूं करुंगी मैं

क्यों वहम है पाला नाराजगी का...

सीमा श्रीवास्तव

Sunday, February 8, 2015

रौनक



चलो डंठलो से ,उतार लाए गुलाब 
कि अपनी महबूबा के
जुल्फों मेँ इन्हें लगाना है !!

चलो निकलते हैं शिकार पे 
कि  दीवारों को सुन्दर 
खालों से सजाना है !!

उजाड़ के किसी का आँगन 

अपनी खुशियो में इजाफा कर लें ,

किसी तरह भी अपने  घरों   की 

रौनक को बढ़ाना है !!

सीमा श्रीवास्तव 


Saturday, February 7, 2015

मन का कोना


 कोशिशें बहुत की ,

 सँवारने की मगर 

 एक कोना मन  का 

बिखरा  ही रह गया  !!

- सीमा

Thursday, February 5, 2015

इन्द्रधनुषी रंग

 इंद्रधनुषी रंग 
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रंग बदलते रहे
 तुम हर पल,
लो ! हर रंग को 
जोड़ के
बना लिया 
इंद्रधनुष मैंने
 देखो आकाश पे 
कैसे निकला है वो 
तन के ,

 मेरी जिंदगी में अपने   
सतरंगी रंगो को  भर के !!

सीमा श्रीवास्तव 

Tuesday, February 3, 2015

मोहरे

     मोहरे 
>>>>>>>>>>

मेरे ना होने पर

जरा सा याद कर लेना मुझको,

कि मेरा होना तो कभी

रास  ही  आया ना  तुझे !

मोहरे अपने  फिर

 अकेले ही

  बिछाते  रहना

तभी तो शह  भी  होगी  तेरी

और  होगी मात भी तेरी!!

- सीमा श्रीवास्तव

Monday, February 2, 2015

सावधान

    सावधान 
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यूँ ही नहीं बिगड़ता 
हमारा समाज !!

कि यहॉ चौकीदार और 

दरबान ही बन जाते  हैं 
लुटेरे। 

उफ़ !  ये छदमवेष  वाले  !!

अब कहो ,

किस  पर करे शक 

और  किस पर  करे  भरोसा !!

क्यों पनपती है 

इनकी( छदमवेष वालोँ की ) झाड़ ??

क्योकि ,साथ देते हैं इनका 

चंद  नामी गिरामी लोग 

सब मिल के लेते हैं मजे 

  ये रोज मिल के चबाते है पान ,

पीते हैं  चाय ,

बनाते है खैनी 

और फैलाते है गन्दगी 

अपने आसपास 

पान की पीक  और 

चाय की कुल्हड़ को 

इधर उधर फ़ेंक के !
इनके दिमाग में 

अपशब्दों की भरमार  है 

जिसे वो राह चलते लोगो में 

बाँटते हैं !!

सावधान रहना इनसे कि 

इन्हें रोकने वाले बहुत कम 

साथ देने वाले ज्यादा हैं 

कि  मिर्च मसाले 

खा के चटखारे लेना 

बहुतो को पसंद है !!

तभी तो फलती फूलती 

 है गंदगी की झाड़ 

देखती  हूँ कितनो   के दिमाग में 

घुसती है मेरी ये बात 

कितने हाथ आगे बढ़ते हैं 

छांटने को ये झाड़ 

देखती  हूँ !!

हॉ.., मेरे घर के आसपास तो 

अब कोई झाड़ नहीं ,

कि काट डाला है मैंने इसे 

अपने ही हाथो से 

 और जला दिया है 

 बाकि कचरों के साथ 
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आप  भी अपने आसपास  का 

ख्याल रखना   ताकि कोई 

दूसरा(बाहर के लोग ) थूक कर ना
चला जाए हमपर !!

सीमा श्रीवास्तव