"वक़्त-बेवक्त गर्द बिखर ही जाता है"..... और फिर कोई नया सपना संवर जाता है. आपकी कविताओं की प्रबलता सचमुच असाधारण है.
Shukriya..sir...
"वक़्त-बेवक्त गर्द बिखर ही जाता है"..... और फिर कोई नया सपना संवर जाता है. आपकी कविताओं की प्रबलता सचमुच असाधारण है.
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