Friday, January 23, 2015

        परछाई 
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  परछाइयाँ  तो रोशनी की साथी हैं। 

अँधेरो में कहाँ ये नजर आती हैं। 

बिखरी जब  जब रोशनी देखो ,

 तब तब परछाइयाँ  चली आती हैं !!

सीमा श्रीवास्तव 

2 comments:

  1. उजाले की हमसफ़र परछाईं भी रात होने पर हमारी आँखों में सिमट कर सो जाती है.

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