चितचोर (भोर) ^^^^^^^^^^^^^ नींद मेरी आँखों से , अब भी कोसों दूर थी उधर आकाश पर एक नई कहानी लिख रही चितचोर थी पर रात भर की जागी आँखे जाने कब लग गई ! ओह !भोर मुझसे बिन मिले ही देखो कहाँ निकल गई !! सीमा श्रीवास्तव
"भोर मुझसे बिन मिले......" 'यशोधरा' के शब्द याद आ गए - "सखी वे मुझसे कह के जाते !" अलसाई सुबह देर से उठना और चुपके से भोर का चला जाना बड़ी सामान्य बात है. लेकिन इसकी अभिव्यकि सभी के वश की बात नहीं. सुन्दर रचना !
"भोर मुझसे बिन मिले......" 'यशोधरा' के शब्द याद आ गए - "सखी वे मुझसे कह के जाते !" अलसाई सुबह देर से उठना और चुपके से भोर का चला जाना बड़ी सामान्य बात है. लेकिन इसकी अभिव्यकि सभी के वश की बात नहीं. सुन्दर रचना !
ReplyDeleteDhanyawaad...sir
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