Sunday, December 7, 2014

गमजदा

खुदा हमें जरा सा,

छोड देता है गमजदा 

कि गुरूर कहीं किसी को ऊपर ना ले उड़े.... 

हॉ.,कोई ना कोई गम हमें

वजनी(दुख से भारी) बना देता

कि जमीं  पर हमारे   पाँव रहे जमे....!!

- सीमा  

3 comments:

  1. "दर्द नशा है इस मदिरा का, विगत स्मृतियाँ साकी हैं, पीड़ा में आनंद जिसे हो आये मेरी मधुशाला."

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  2. Beautiful lines by..Bachchan ji....Thank u..Manoj ji..

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