जब रात शांति ओढ के
खडी होती है ,
तब मन का सन्नाटा
रात की बांहे पकड़ के
जाने क्या -क्या बतियाता है !
दिन भर की सुनाता है !
और आँखे मन की राह
तकते- तकते कब
पलकें बंद कर लेती है
पता भी नहीं लगता ।
जाने कितने सपने आते जाते रहते है रात भर......!! - सीमा श्रीवास्तव
बहुत बढिया है।
ReplyDeleteThanks a lot..Shantideep ji...
Deleteबहुत बढिया है।
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