Monday, December 22, 2014

रात


जब रात शांति ओढ के 

खडी होती है ,


तब  मन का सन्नाटा 


रात की बांहे पकड़ के 


जाने क्या -क्या बतियाता है !


दिन भर की सुनाता है !


और  आँखे मन की राह 


तकते-  तकते कब 


पलकें बंद कर लेती है 


पता भी नहीं लगता ।


जाने कितने सपने

आते जाते रहते है
रात  भर......!!

- सीमा श्रीवास्तव





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