Friday, November 7, 2014

ओम

मैंने रचना चाहा 

अपनी नई कलम से 

एक सुन्दर सी रचना 

कलम की देह पर 

चिपके थे पूजा के 

अक्षत ,चन्दन ।

वह लिखती गई  
ओम, ओम, ओम

कि उसकी स्याही में 

बस गए थे ,

भक्ति भाव ,

कलम चलती रही 

और मन में 

जगते रहे

सद्विचार। 

- सीमा श्रीवास्तव 





5 comments:

  1. अतिसुन्दर कल्पना
    http://goo.gl/havdMm
    पर स्वागत हैँ।

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. बहुत खूब ......बहुत सुन्दर

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