Thursday, November 20, 2014

रेख्ता

      रेख़्ता 
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(१)

रेख्ता हैं मेरे जज्बात 

देखता क्या  है 

इधर उधर से समेटने 

मुझे ही पड़ते हैं। । 

सीमा 

(२ )
     फरिश्ते 
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अक्स बन के तेरा 

 आ जाते हैं कई 

मैं समझ जाती हूँ 

ये सब फरिश्ते हैं !!

सीमा 

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