बाल मजदूर
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बाल मजदूर
पैदा ही होते हैं
माँ की कोख से
वज्र बन के ,
माँ के पेट में ही
सीख लिया होगा
इन्होंने ,बोझ उठाना ,
तोड़ना पत्थरों को
कचरे मेँ से चुन लेना
काम के सामान
ये रोते नहीं
अपनी हालत पर
इनका हौसला मजबूत
होता जाता है मेहनत से
दिनबदिन ,
इनकी पेशानी पे
होती है एकअलग ही चमक
इनका जज्बा होता है देखने लायक
मैं ये नहीं कहती कि
बाल मजदूरी शोषण नहीं,
बस देखती हूं इन्हें
हैरान होकर जो इतने
अभावों में भी मुस्कुराते हैं
और जूझते रहते हैं जीवन के
भँवर के साथ ,साहस की
पतवार लेकर!!
और हम इनपर चार शब्द
लिखकर या बोलकर
आगे बढ जाते हैं |और है क्या
हमारे बस में........
सीमा श्रीवास्तव
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बाल मजदूर
पैदा ही होते हैं
माँ की कोख से
वज्र बन के ,
माँ के पेट में ही
सीख लिया होगा
इन्होंने ,बोझ उठाना ,
तोड़ना पत्थरों को
कचरे मेँ से चुन लेना
काम के सामान
ये रोते नहीं
अपनी हालत पर
इनका हौसला मजबूत
होता जाता है मेहनत से
दिनबदिन ,
इनकी पेशानी पे
होती है एकअलग ही चमक
इनका जज्बा होता है देखने लायक
मैं ये नहीं कहती कि
बाल मजदूरी शोषण नहीं,
बस देखती हूं इन्हें
हैरान होकर जो इतने
अभावों में भी मुस्कुराते हैं
और जूझते रहते हैं जीवन के
भँवर के साथ ,साहस की
पतवार लेकर!!
और हम इनपर चार शब्द
लिखकर या बोलकर
आगे बढ जाते हैं |और है क्या
हमारे बस में........
सीमा श्रीवास्तव
शब्द अपना काम करते जाते हैं ... शायद इंसान नहीं कर पाता ...
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद...सर....
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