Monday, November 10, 2014

   भूलभुलैया 
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बचपन से अब  तक
कितना कुछ पढा
सुना  ,याद  किया ,

कितनी बातों ने
उलझाया मुझे,

कितने किस्सों ने 
बहलाया मुझे ,

कुछ याद रहा 

कुछ ना चाहते हुए भी 
भूल गई और 

कुछ को भुलाना पड़ा 
खुद को ज़िंदा रखने खातिर 

कि इस भूलभुलैया सी
 जिंदगी में ,

सच में कुछ बातें 
चाहते हुए भी कहाँ 
याद रह पाती हैं और 

कुछ को भूलाने की 
कोशिश करते रह जाते हैं 
 हम ताउम्र पर वो 

विस्मृत कहाँ हो पाती हैं !! 

सीमा श्रीवास्तव 

3 comments:

  1. जीवन जीने के लिए ऐसे ही कई adjustments करने पड़ते है ..यही जीवन का असली रंग रूप है

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  2. Aapko apne blog par dekh kar mai sach me bahut khush hu...Welcome Saras didi..Thanks a lot for your surprise visit...:)

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