Sunday, November 2, 2014

मन का सरगम




जब तक सुरबद्ध

 ना हो अपने मन 

का सरगम 

तब तक 

हर आवाज़ 

लगती है बेसुरी 

जब अंतर का

संगीत छेङता है धुन 

हर रंग चटक लगते हैं 

हर बात मधुर लगती है !!

सीमा श्रीवास्तव 

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