Wednesday, October 15, 2014

शब्द



कितने कीमती होते थे,
तुम्हारे हॉ और ना भी
मेरे लिए,
कि तुमने उन्ही
शब्दो में समेट
रखा था जो
वजूद अपना.......

सीमा श्रीवास्तव 
सीमा ....

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