Tuesday, October 7, 2014

                    पहेली 
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तुम जब दूर चले जाते हो 

तब ले जाते हो ,

मेरी सारी ऊर्जा भी अपने साथ ॥ 

फिर बिगड़ जाता है मेरा संतुलन । 

हाँ तुम्हारे होने से मैं  रहती हूँ 

हल्का फुल्का

ठीक  तराजू के   पलड़ो की तरह 

जिसके एक पलड़े पे तुम रहते हो 

और दूसरे पर मैं.…… 

मेरा पलड़ा हमेशा ऊपर रहता है 

तुम , वजनदार जो हो !!

बस यही वजह है कि मैं 

 रहती  हूँ हल्का - फुल्का 

तुम    हमेशा अपने हिसाब में 

 मुझे हराते रहे हो और 

कविता से पीछा छुड़ाते रहे हो । 

पर एक बार देखो तो सही 

ये कोई कविता नहीं,

ये तो एक पहेली है जो 

पहेली ही रहेगी सुलझने के बाद भी 

तुम्हारा पलड़ा जमीन को छूता रहेगा 

और मैं तुम्हे ऊपर से देखा करूँगी !!

-सीमा श्रीवास्तव 

(बस यूँ ही ,एक मीठी सी नोंक झोंक  )







2 comments:

  1. जिसके एक पलड़े पे तुम रहते हो

    और दूसरे पर मैं.……

    मेरा पलड़ा हमेशा ऊपर रहता है

    वाह ... बहुत खूब कहा है आपने ...।

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  2. धन्यवाद संजय जी...

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