देखा है कई ऐसे चेहरों को
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जब सृजन की इच्छा
जग जाती है मन में ,
तब सजने की चाह
कम हो जाती है ।
मन करता जाता है सृजन ,
रहने लगता है खुद में मगन ।
जैसे माली हो जाता है
समर्पित
फूलो की देख ,रेख में ,
एक लेखक को भी कहाँ
भूख ,प्यास सताती है !
अपनी रचनाओ से ही
होता है तृप्त वो ,
लेखनी ही उसकी
प्यास मिटाती है !!
सीमा श्रीवास्तव
(अपने काम के प्रति समर्पित रचनाकारों के लिए )
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जब सृजन की इच्छा
जग जाती है मन में ,
तब सजने की चाह
कम हो जाती है ।
मन करता जाता है सृजन ,
रहने लगता है खुद में मगन ।
जैसे माली हो जाता है
समर्पित
फूलो की देख ,रेख में ,
एक लेखक को भी कहाँ
भूख ,प्यास सताती है !
अपनी रचनाओ से ही
होता है तृप्त वो ,
लेखनी ही उसकी
प्यास मिटाती है !!
सीमा श्रीवास्तव
(अपने काम के प्रति समर्पित रचनाकारों के लिए )
बहुत सुन्दर...एहसास
ReplyDeleteThank u Ashish ji...
ReplyDeleteSach Kaha....
ReplyDeleteसच्ची बात .....
ReplyDeleteसच कहा है और इस सर्जन से आत्मिक सुख भी मिलता है ...
ReplyDeleteJi......,thanks a lot Digamber ji...
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