Tuesday, October 21, 2014

देखा है कई ऐसे चेहरों को 
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जब सृजन की इच्छा 

जग जाती है मन में ,

तब सजने की चाह 

कम हो जाती है । 

मन करता जाता है सृजन ,

रहने लगता है खुद में  मगन  । 

जैसे माली हो जाता है 

 समर्पित

फूलो की देख ,रेख में ,

एक लेखक को  भी  कहाँ 

भूख ,प्यास सताती है !

अपनी रचनाओ से ही 

होता है तृप्त वो ,

 लेखनी  ही उसकी 

प्यास मिटाती है !!

सीमा श्रीवास्तव 

(अपने काम के प्रति समर्पित रचनाकारों के लिए )



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