Saturday, October 18, 2014

सुकून

सुकून  


कुछ दिन तो और ठहरते 

 सुकून  वाले दिन रात 

जहाँ मौसम होता राहतवाला । 

ना गर्मी की तपिश ,

ना सर्दी की कपकपाहट ,

ना बारिश की किचकिच ,

ना धूल और गर्द का आतंक 

पर ऐसा मौसम कहाँ ठहर पाता है !!

नहीं रह पाता सुकून  ,

जब मौसम अपना  असली रूप दिखाता है !!

हल्की हल्की ठंढ़ धीरे धीरे 

होती जाती है क्रूर!!

धीरे धीरे दिखने लगता है इसका  ग़ुरूर । 

राहत वाले पल बोलो कब ठहरा 

करते हैं ,

सुकून  वाले दिन बस कुछ पल के 

मेहमां होते हैं!!!

- सीमा श्रीवास्तव 








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