Thursday, October 16, 2014

          चलते चलते 
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कभी राजकुमारी वाली 

कहानियाँ बहलाती हैं ,

कभी सफ़ेद घोड़े वाला 
राजकुमार ,

कभी परियाँ फुसलाती हैं ,

कभी उनके  उपहार  । 


 कभी कोई   ख़ूबसूरत चेहरा  

है गुमराह करता ,

कभी व्यथित कर जाता  

 उसका व्यवहार ।  

कितने रस्तो से गुजरते 

हम बड़े तो
  हो जाते हैं ……

फिर भी बचपन पीछा 

करता है बार बार.........

और 

छोङ देते हैं जब हम 

ख़्वाब देखना ,

तभी कोई ख़्वाब 

कर जाता है चमत्कार । 

किस्मत ,नियति ,भाग्य ,लकीरें 

कहो ना ! क्या सच होती हैं यार !!


- सीमा श्रीवास्तव 

2 comments:

  1. सपने नन्हें पैरोंवाले की फ़रमाईश पूरी नहीं होती
    और चमत्कार चाह के साथ उसके प्रति लगन की होती है

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  2. जी दीदी, मन में जब पूरा विश्वास हो और चाह दुरूस्त हो तो चमत्कार कभी भी हो सकता है....:)

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