आपके लिये
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(1)
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(1)
बंदगी
ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं
परसतिश ,इबादत,तस्लीम
हर शब्द में बंदगी है।
आज के माहौल मे तेरी
खिदमत का ही सहारा है!!
( 2)
जन्नत
ंंंंंंंंंंंंंंंंंं
स्वर्ग, जन्नत,बाग
ये जमी बन जायेगी,
हर शख्स की गर
तबियत बुलंद हो जाए
बाग=स्वर्ग
( 3)
ठिकाना
ंंंंंंंंंंंंंंंंं
मसकन ,जगह,मुकाम की,
हर शख्स को तलाश है।
हर दिल गुजर करने को
एक आशियाना ढूंढता है !!
या खुदा, इस कलम को आबाद रख!
ReplyDeleteतहेदिल से शुक्रिया मनोज जी । हौसलाअफजाई के लिये बहुत बहुत धन्यवाद....:)
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