Wednesday, October 1, 2014

    आपके लिये
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           (1)

        बंदगी
ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

परसतिश ,इबादत,तस्लीम

हर  शब्द में बंदगी है।

आज के  माहौल मे तेरी

 खिदमत का ही सहारा है!!

             ( 2)
     जन्नत
ंंंंंंंंंंंंंंंंंं
स्वर्ग, जन्नत,बाग

ये जमी बन जायेगी,

हर शख्स की गर

तबियत बुलंद हो जाए

बाग=स्वर्ग

       ( 3)

      ठिकाना
ंंंंंंंंंंंंंंंंं

मसकन ,जगह,मुकाम की,

हर शख्स को तलाश है।

हर दिल गुजर करने को

एक आशियाना ढूंढता  है !!

सीमा श्रीवास्तव.......

2 comments:

  1. या खुदा, इस कलम को आबाद रख!

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  2. तहेदिल से शुक्रिया मनोज जी । हौसलाअफजाई के लिये बहुत बहुत धन्यवाद....:)

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