बेटी दिवस
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अब लड्कियॉ भी पैदा होती हैं
मॉ बाप के सपनो के साथ्।
उड्ती फिरती है तितलियो कीतरह।
हॅंस हँस के बतियाती है
दौड्ती फिरती है अपने मनपसंद कपडो मे।
परदे के ओट मे नही रह्ती छिप के बैठी,
बल्कि बेनक़ाब करती है,हर
नक़ाबपोश को।
और गालियॉ देते हुए धकेल देती है
अपने पीछे पडे लफंगो को...
सीमा श्रीवास्तव
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अब लड्कियॉ भी पैदा होती हैं
मॉ बाप के सपनो के साथ्।
उड्ती फिरती है तितलियो कीतरह।
हॅंस हँस के बतियाती है
दौड्ती फिरती है अपने मनपसंद कपडो मे।
परदे के ओट मे नही रह्ती छिप के बैठी,
बल्कि बेनक़ाब करती है,हर
नक़ाबपोश को।
और गालियॉ देते हुए धकेल देती है
अपने पीछे पडे लफंगो को...
सीमा श्रीवास्तव
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