मेरी कविता
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मेरी कविता ,नहीं ले जाती मुझे
झरनो - पहाड़ो पर
ना ही धरती से दूर
उन चाँद - तारो पर
अपने आस पास ,
इर्द- गिर्द कितना कुछ
अनछुआ रह जाता है
और हम विचरते है
नदियों, झरनो, पहाड़ो पर ,
गढ़ते है कहानियाँ
.... चाँद - तारो पर
पर मै सहज भाव से
लिखना चाहती हूँ
अपने आस पास के
अनछुए सुख- दुःख
जिसे ना चाँद ने
समझा ना तारों ने
ना झरनों ने महसूस
किया ,ना पहाड़ो ने !!
सीमा श्रीवास्तव
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मेरी कविता ,नहीं ले जाती मुझे
झरनो - पहाड़ो पर
ना ही धरती से दूर
उन चाँद - तारो पर
अपने आस पास ,
इर्द- गिर्द कितना कुछ
अनछुआ रह जाता है
और हम विचरते है
नदियों, झरनो, पहाड़ो पर ,
गढ़ते है कहानियाँ
.... चाँद - तारो पर
पर मै सहज भाव से
लिखना चाहती हूँ
अपने आस पास के
अनछुए सुख- दुःख
जिसे ना चाँद ने
समझा ना तारों ने
ना झरनों ने महसूस
किया ,ना पहाड़ो ने !!
सीमा श्रीवास्तव
हकीकत की धरातल को लिखना आसान नहीं हो पाता तभी कल्पना का सहारा लेते हैं लोग ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगम्बर जी....:)
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