एक दर्द समेट लाता है
उन शेष दर्दो को भी
जो समय समय पर
देते रहे हैं दंश
फिर
उठती है
एक जोर की आँधी!
गम का गर्द
बिखर जाता है चारो तरफ
और
बरसता है आँखों से पानी!
गम दूर बह जाता है
और छोड़ जाता है नमी
समय के झोखे सोख
लेते है वो नमी!!
दर्द की आंधी यूँ ही
उठती रहती है
आँसू बरसते हैं
फैलती है नमी
और समय के झोंखे
सोख लेते हैं
उस नमी को!!
सीमा श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment