Monday, September 15, 2014

फूल



कितने कांटो के बीच

खिलते है कुछ गुलाब।

कई कंटीले बाडे से घिरे

जी रहे है हम सब भी

कभी खिलते है,

कभी मुरझाते हैं

किसी रात सोते हैं

किसी रात जगते हैं

फिर भी सुबह होते ही

फूलो की तरह

मुस्कुराते हैं।

सीमा श्रीवास्तव 

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